सूचना के अधिकार को समझिये

 

 सूचना के अधिकार को समझने का व्यवहारिक अर्थ क्या है ?

सूचना का अधिकार का प्रयोग करते समय आवेदक को व्यवहारिक दृष्टिकोण से विचार करके वांछित सुचना तक पहुँच स्थापित करने का प्रयत्न करना चाहिए क्योंकि सुचना के अधिकार के तहत किये जाने वाले आवेदन पर कार्यवाही करने वाले सूचना अधिकारी इस अधिनियम और नियमों के विधि निर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित करते हुए आवेदक के आवेदन अनुसार सूचना उपलब्ध करवाते है और जब आवेदन का कोई भी व्यहारिक पहलू इस अधिनियम या नियम के विधिक निर्देश के विपरीत होता है तो जन सूचना अधिकारी इसी आवेदित त्रुटी का आधार लेकर सुचना का अधिकार आवेदन को निरस्त कर देता है इसलिए आवश्यक है की सुचना का आधिकार के तहत आवेदन करते समय सभी विधिक पहलुओं से विचार कर व्यवहारीक तरीके से आवेदन प्रस्तुत करें तभी वांछित  जानकारी प्राप्त होती है...

हम सूचना के अधिकार को समझकर...

 इसका व्यवहारिक प्रयोग करने में विफल क्यों हो जाते हैं ?


जब सूचना के अधिकार को जानने व समझने का प्रयास होता है तो अधिकांशतः इस अधिकार को महज एक अधिनियम के रूप में पढ़ कर समझने की दिशा में लोग बढ़ते है इसलिए इस अधिकार का प्रयोग करते समय बहुत सी गलतियाँ होती है और सूचना का अधिकार का प्रयोगकर्ता जानकारी अभिप्राप्त करने के कई मोर्चो पर विफल हो जाता है अर्थात उसे वांछित जानकारी सम्बंधित विभाग से नहीं मिलती है इसलिए इस अधिनियम के मूल उद्देश्य तक पहुचना कठिन हो जाता है अतः यह प्रश्न उठता है कि, भला  ऐसी परिस्थिति से कैसे निपटे ?

सूचना अधिकारी को घेरने के लिए सूचना का अधिकार अधिनियम २००५ की धारा ४ का इस्तमाल करिए इस धारा का अचूक  प्रयोग करना सिखने के लिए इस लिंक पर क्लिक करिए

शासकीय कार्यालयों से किसी भी विषय पर जानकारी मांगने का अधिकार प्रत्येक नागरिक के पास है... लेकिन सूचना मांगने का तरीका और प्रक्रिया... विधि द्वारा निर्धारित की गई है… इसलिए कार्यशाला में प्रतिभागी बनकर सूचना के अधिकार को समझिए….

सूचना का अधिकार किसी भी व्यक्ति के नागरिक अधिकार का अहम हिस्सा है… जिसको अभिप्राप्त करने की  विधि अपेक्षित कार्यवाही प्रक्रिया की जानकारी प्...